येसु मरुभूमि को छोड़कर यर्दन नदी के तट पर लौट गए। योहन बपतिस्मा ने जैसे ही येसु को देखा, वे बोल उठे ‘‘देखो, यह आदमी ईश्वर का मेमना है। ये आए हैं संसार का पाप हरने।
यह सुन कर बहुत से लोग येसु के पीछे हो लिए। उनमें से कुछ लोगों ने तो अपना सब कुछ त्याग दिया कि सदा उनके साथ रहें। वे उनके शिष्य बने।
कुछ दिनों के बाद येसु किसी विवाह-भोज के लिए काना शहर गए। वहाँ उनकी माता और शिष्य भी थे। भोजन के समय मदिरा घट गई। मरियम ने इसकी चर्चा येसु से की। द्वार के पास पत्थर के 6 बड़े-बड़े मटके थे। येसु ने नौकरों से कहा इन्हें पानी से भर दो। जब उन्होंने भर दिया, तो बोले, ‘‘अब उनमें से निकाल कर भंडारी के पास ले जाओ।’’ वह जल मदिरा बन गया था येसु ने मटकों का पानी मदिरा में बदल दिया था। यह येसु की पहली करामात थी।