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47. खून का पसीना
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जैतून पहाड़ की तलहठी में गेतसेमनी नाम का बाग था। येसु ने उस बाग में प्रवेश किया। सहसा येसु पर भय छा गया। उन्होंने शिष्यों से कहा-मेरी आत्मा इतनी उदास है कि मैं मरने पर हूँ? तुम लोग यहीं ठहरो, जागते रहो और प्रार्थना करो। येसु घुटने टेक कर प्रार्थना करने लगे।

येसु के दुःख और भय का कारण था हमारे पाप और उनका भयंकर दंड।

उन्हें यह भी मालूम था कि अधिकांश लोग कृतध्न ही बने रहेंगे और पाप करके उन्हें दुःखी करते रहेंगे। उन्हें ऐसा लगता था कि मनुष्य का हरएक आत्ममारु पाप कटार की तरह उनके हृदय को बेध रहा है। तब येसु ने अपने स्वर्गीय पिता से विनय की- हे पिता, यदि हो सके तो दुःख का यह कटोरा हटा लें। पर मेरी इच्छा नहीं, आपकी इच्छा पूरी हो।

दुःख के कारण उनके शरीर से खून पसीने की तरह बह चला। उनके ललाट से पसीने के साथ रक्त की बून्दे उनके कपड़े और आसपास की जमीन को लाल करने लगीं।

 
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